Tabassum

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मर्ज़ ऐ हैसियत



सारा मसला यहां ऊँचे मुक़ाम का है
वर्ना कौन यहां किसी भी काम का है!!

ये सलाम ये इज़्ज़त ये फ़िक्र हमारी
अभी सबको पता है बंदा काम का है!!

दौलत की सरफ़राज़ी ने हमें सिखाया
मुझसे वास्ता सबको ऊँचे दाम का है!!

हैं सिक्कों की खनक से रोशन महफ़िलें
वर्ना रिश्ता ख़ून‌ का भी बस नाम का है!!

है चमकते आफताब की दुनिया दीवानी
ग़रीबी का किस्सा तो ढलती शाम सा‌ है!!

इक सच कड़वा ये भी सीखा ज़माने से 
मेरी तरह मर्ज़ ऐ हैसियत तमाम का है!!

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2 Comments

hema mohril

23-May-2024 02:37 PM

V nice

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Gunjan Kamal

22-May-2024 08:29 PM

बहुत खूब

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